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Tuesday, 26 November 2019

कैसे कह दूँ कि प्यार नही..

कैसे कह दूँ कि प्यार नहीं करता हूँ ,
बस कभी कभी दिखाने में डरता हूँ..!!
डरता हूँ क्योंकि परेशान करता है मुझे तेरा यूँ छोटी छोटी बातों पर चिल्लाना..
कभी कभी यूँ ही बेवजह रूठ जाना..
पहले तुम कहती थी कि मुझे यूँ ही नहीं सताओगी,
अगर हो भी गई तकरार तो पल भर में मनाओगी..
नही रहा अब दौर वैसा,
कोई पल नही उस पल जैसा..

हाँ मैं करता हूँ तुम्हें बेशुमार प्यार करता हूँ..
शायद इसी लिये दूर जाने से डरता हूँ,
पास आने को मरता हूँ....
फिर कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार नही करता हूँ..!!

Friday, 6 April 2018

तूफ़ान

ये तो तूफान तेज़ आया है,
बस्तियों को यूं उखाड़ गया।
एक तूफाँ मेरे भीतर भी था,
जो मुझको अंदर से उजाड़ गया।।

Monday, 11 December 2017

नासमझ ही अच्छा था....

काश मुझमें ये समझ ही न होती,
मैं तो बस नासमझ ही अच्छा था..
ये दुनिया के कायदे, रीति-रिवाज
झूठे चेहरे, वादों से दूर ही अच्छा था..।।

(आदी)

Tuesday, 21 November 2017

बेपरवाह

बेहतरीन बेपरवाह जिंदगी थी
फिर परवाह न होने की परवाह हो गयी..
उन्मुक्त उड़ान तो अच्छी थी
फिर किसी क़ैद की चिन्ता हो गयी..।।

Sunday, 19 November 2017

ख्वाबों की ओर..

रात अब लम्बी लग रही है
कहीं मैं सो न जाऊं..
इस दुनिया की एक सी भीड़ में
कहीं मैं खो न जाऊं..!!

क्यों भागा जा रहा है सरपट
अब लगता है वक़्त थोड़ा ठहर जाए..
मैं भी पा लूं पहचान को अपनी
जल्दी से अब वो पहर आये.. !!

(आदी)


Friday, 22 September 2017

गहराई




दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है ,
इंसानियत तो बस दिखावे की रह गयी है..|
क़त्ल कर देती थी आशिको को जो बिना वार के
वहां अब दिखती बस शिकन रह गयी है ..||
दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है....

ख्याल जो आया था उसकी बस चुभन रह गयी है ,
बुझ चुके शोले के भीतर सी अगन रह गयी है..|
टूटे आईने से चकनाचूर हुए थे जो सपने
न भर सकेंगी वो दरारे बस इतनी सी उमर रह गयी है ..||
दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है....

(आदी)

Saturday, 27 May 2017

तुम याद आये....

घिरी बरखा जो यहाँ
तो तुम याद आये
गिरा सावन जो रिमझिम
तो तुम याद आये..|
जो खुशबू मिली मिट्टी से
तो तुम याद आये
जो गरजे काले मेघा
तो तुम याद आये....||

दूरी भी कहाँ दूर करे तुमसे
याद भी अब आये तो मन बहकाये
ये मूसलाधार भी न प्यास बुझाये
दिल में लगी आग कुछ यूँ मुझे जलाये..|
कि तेरा नाम क्यों बार बार मेरे सामने आये
जो चाहा सबसे ज्यादा भूलना सिर्फ वही याद आये..
अब तो जो आँख भी लगे गलती से
तो सपने में तुम नजर आये.....||

घिरी बरखा जो यहाँ
तो तुम याद आये
गिरा सावन जो रिमझिम
तो तुम याद आये....||

Sunday, 21 May 2017

पुरानी कहानी

रातों की नींद आँखों के पानी के साथ बह गई,
न चाहते हुये भी याद बहुत कुछ कह गई..|
चाहत का ऐतबार मुझे पूरा था मगर,
दूर वो हुई और सीने में चुभन रह गई..||
देखी तस्वीर जो उसकी तो रवानी कुछ कह गई,
वक्त बीता तो ढ़लती जवानी कुछ कह गई..|
भूलकर सब जो लिखना चाही अपनी आरज़ू तो,
किताब के सूखे गुलाब की कहानी कुछ कह गई..||

Saturday, 13 May 2017

तड़पती रूह

मेरे अश्कों की तू भी सौगात होगा
शब्द मेरे भी होंगे तू बेबाक होगा..
मेरी मोहब्बत का रंग लगता है फीका तो क्या
वफाओं के आगे मेरीे तू लाज़वाब होगा..||

अँघेरा दूर करने को मुझपर चिराग होगा,
रोशनी तो कम होगी मगर आफ़ताब होगा..
किस्सा लगता रहा हाल-ए-दिल मेरा जो
महफिलों की हर जुबां का वही सरताज़ होगा..||

दिन तो वो भी आयेगा जो मेरे साथ होगा
यादों को संजोया तुझपर भी गुलाब होगा..
मेरी तड़प से नही हूँ खुद मैं रूबरू
दिल में लगी आग की जलन का एहसास होगा..||

मेरे अश्कों की तू भी सौगात होगा
शब्द मेरे भी होंगे तू बेबाक होगा......||

( आदी )

Friday, 12 May 2017

होता है क्या अब भी.....

होता है क्या अब भी,
तेरा बादलों को देखकर खुश हो जाना,
बारिश की पहली बूँद के साथ ही
तेरा दौड़कर बाहर आना..

कभी मुस्कुराना, कभी शर्माना ,
कभी बेवज़ह नाराज हो जाना..
दूर जाने पर घबराना,
पास आने पर गले लगाना..
होता है क्या अब भी,
तेरा बादलों को देखकर खुश हो जाना..??

Wednesday, 10 May 2017

विद्रोही

हाहाकार मचा रखा है,
सुख चैन कहाँ अब पाऊँगा..
अब ऐसा ही हाल रहा तो,
मैं विद्रोही हो जाऊँगा..||

सीमा नही बची है फिर भी,
असीमित प्रेम दिखाऊँगा..
गर फिर भी न समझ सके तो,
मैं विद्रोही हो जाऊंगा..||

(आदी)

Thursday, 27 April 2017

बदल जाता है....

दिन बदल जाता है, तारीख़ बदल जाती है,
आँखों के आगे की तस्वीर बदल जाती है..
नकाब़ गिरते हैं लगते हैं रोज़ाना,
लोगों की नीयत और तरकीब़ बदल जाती है.....

यूँ तो रोशन सूरज भी बदल जाता है,
रात को चाँद का आकार बदल जाता है..
तारे तो यूँ ही जगमगाते है हरदम़,
पर लगता है सारा आसमान बदल जाता है़....

कुदरत के करिश्मे से जहान बदल जाता है,
ऊपर वाले के आगे तूफान बदल जाता है..
ज़िन्दगी हर किसी को वो ही देता है,
फिर भी यहाँ मरते ही शमशान बदल जाता है....||

( आदित्य कुमार अवस्थी - आदी )

Monday, 27 March 2017

दिन प्रतिदिन

प्रतिदिन एक द्वन्द होता ,
ह्रदय और मस्तिष्क में।
क्या सत्य है और क्या नहीं
क्या क्या बचा अस्तित्व में।।

सूर्य उदय होता है हर दिन
प्रत्येक दिन ही रात आती।
कुछ जीते हैं ज़िन्दगी को
कुछ की बस गुज़र ही जाती ।।

सत्य है असत्य भी
जीवन है जैसे मृत्यु भी।
सुख और दुख तो आएंगे
सीखो बढ़ना गम में भी ।।

प्रतिदिन होता द्वंद् है,
किसका ये अस्तित्व है।।।।।।

Wednesday, 15 March 2017

सफ़र

तेज़ तेज़ आनन् फानन
हवा को चीरती जा रही है,
लोहे पर लोहा है
कभी धुप कभी छाँव आ रही है।।

ये रेल की रफ़्तार
तेज़ और तेज़ होती जा रही है,
सफ़र अकेले भी काट रहा है
आगे मैं बढ़ रहा हूँ की ज़िन्दगी पीछे जा रही है??

कभी गेंहूँ की लड़ियाँ हैं
कभी सरसों की बहार है,
रफ्तार तो तेज़ है मगर
फिर भी आँखें रुक् जा रही हैं।।

रफ्तार तेज़ होती जा रही है,
रफ्तार तेज़ होती जा रही है।।

पीछे छूट रहें है स्टेशन,
कुछ जाने कुछ अनजाने
तेज़ तेज़ हवा को चीरती जा रही है,
रेल भी ज़िन्दगी सी है .....
बढ़ी जा रही है, बढ़ी जा रही है।।।।

(आदित्य कुमार अवस्थी)

यात्रा के दौरान आते विचार।

Tuesday, 21 February 2017

नशा जो उतरता नही..

एक साज है जो कभी छुपता नही,
एक सपना है जो कभी मरता नही,
होश में हूँ मैं और बेहोश भी,
एक नशा ऐसा है जो कभी उतरता नही....||

एक पत्ता ऐसा है जो कभी झड़ता नही,
एक बाग ऐसा है जो कभी उजड़ता नही,
लाखों जतन भी किये लोगों ने,
एक नशा  ऐसा है जो कभी उतरता नही....||

बात तो छोटी सी है......
यौवन उसका ढ़लता नही,
प्रेमी जब होते हैं प्यार में,
तो यह वो नशा है जो कभी उतरता नही..यह वो नशा है जो कभी उतरता नही.......||

Saturday, 18 February 2017

मेरी दुनिया

ख्वाहिशें बहुत हैं दिले नादां में मगर..
उम्मीदों से भरा गुलिस्तां भी बाकी है|
सफऱ लम्बा उलझनों भरा है मगर..
मेरे ख्वाबों की उड़ान अभी बाकी है|

दौर ए कठिनाई भी गुज़र जायेगा..
खुशनुमां वक्त से मुलाकात होगी|
हथेलियों में मेरा भी आसमां होगा..
मेरी सुबह की भी हसीन शाम होगी||

हथेलियों में मेरा भी आसमां होगा..
मेरी सुबह की भी हसीन शाम होगी||


(आदी)

Sunday, 13 November 2016

किरदाऱ

हर शख्स यहाँ अन्जान है,
सबको आजमाना पड़ता है..
चाहो या न चाहो पर,
किरदार निभाना पड़ता है..||

चेहरे छुपाये फिरते हैं,
नकाब हटाना पड़ता है..
पूरी दुनिया रंगमंच है,
किरदार निभाना पड़ता है..|

कुछ मुस्कुराते फिरते हैं,
कुछ को रुलाना पड़ता है..
हर भाव है बिकता यहाँ
किरदार निभाना पड़ता है..||
किरदार निभाना पड़ता है..||

(आदित्य कुमार अवस्थी)