Friday, 22 September 2017

गहराई




दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है ,
इंसानियत तो बस दिखावे की रह गयी है..|
क़त्ल कर देती थी आशिको को जो बिना वार के
वहां अब दिखती बस शिकन रह गयी है ..||
दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है....

ख्याल जो आया था उसकी बस चुभन रह गयी है ,
बुझ चुके शोले के भीतर सी अगन रह गयी है..|
टूटे आईने से चकनाचूर हुए थे जो सपने
न भर सकेंगी वो दरारे बस इतनी सी उमर रह गयी है ..||
दिल की गहराई भी अब कम रह गयी है....

(आदी)

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