Saturday, 27 May 2017

तुम याद आये....

घिरी बरखा जो यहाँ
तो तुम याद आये
गिरा सावन जो रिमझिम
तो तुम याद आये..|
जो खुशबू मिली मिट्टी से
तो तुम याद आये
जो गरजे काले मेघा
तो तुम याद आये....||

दूरी भी कहाँ दूर करे तुमसे
याद भी अब आये तो मन बहकाये
ये मूसलाधार भी न प्यास बुझाये
दिल में लगी आग कुछ यूँ मुझे जलाये..|
कि तेरा नाम क्यों बार बार मेरे सामने आये
जो चाहा सबसे ज्यादा भूलना सिर्फ वही याद आये..
अब तो जो आँख भी लगे गलती से
तो सपने में तुम नजर आये.....||

घिरी बरखा जो यहाँ
तो तुम याद आये
गिरा सावन जो रिमझिम
तो तुम याद आये....||

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