Sunday, 21 May 2017

पुरानी कहानी

रातों की नींद आँखों के पानी के साथ बह गई,
न चाहते हुये भी याद बहुत कुछ कह गई..|
चाहत का ऐतबार मुझे पूरा था मगर,
दूर वो हुई और सीने में चुभन रह गई..||
देखी तस्वीर जो उसकी तो रवानी कुछ कह गई,
वक्त बीता तो ढ़लती जवानी कुछ कह गई..|
भूलकर सब जो लिखना चाही अपनी आरज़ू तो,
किताब के सूखे गुलाब की कहानी कुछ कह गई..||

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