Wednesday, 10 May 2017

विद्रोही

हाहाकार मचा रखा है,
सुख चैन कहाँ अब पाऊँगा..
अब ऐसा ही हाल रहा तो,
मैं विद्रोही हो जाऊँगा..||

सीमा नही बची है फिर भी,
असीमित प्रेम दिखाऊँगा..
गर फिर भी न समझ सके तो,
मैं विद्रोही हो जाऊंगा..||

(आदी)

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