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Tuesday, 26 November 2019

कैसे कह दूँ कि प्यार नही..

कैसे कह दूँ कि प्यार नहीं करता हूँ ,
बस कभी कभी दिखाने में डरता हूँ..!!
डरता हूँ क्योंकि परेशान करता है मुझे तेरा यूँ छोटी छोटी बातों पर चिल्लाना..
कभी कभी यूँ ही बेवजह रूठ जाना..
पहले तुम कहती थी कि मुझे यूँ ही नहीं सताओगी,
अगर हो भी गई तकरार तो पल भर में मनाओगी..
नही रहा अब दौर वैसा,
कोई पल नही उस पल जैसा..

हाँ मैं करता हूँ तुम्हें बेशुमार प्यार करता हूँ..
शायद इसी लिये दूर जाने से डरता हूँ,
पास आने को मरता हूँ....
फिर कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार नही करता हूँ..!!

Sunday, 21 May 2017

पुरानी कहानी

रातों की नींद आँखों के पानी के साथ बह गई,
न चाहते हुये भी याद बहुत कुछ कह गई..|
चाहत का ऐतबार मुझे पूरा था मगर,
दूर वो हुई और सीने में चुभन रह गई..||
देखी तस्वीर जो उसकी तो रवानी कुछ कह गई,
वक्त बीता तो ढ़लती जवानी कुछ कह गई..|
भूलकर सब जो लिखना चाही अपनी आरज़ू तो,
किताब के सूखे गुलाब की कहानी कुछ कह गई..||