लो हो रहा है सवेरा ये काली रात के बाद,
लब ये मुस्कुरा रहे हैं हर एक बात के बाद!
अच्छा जो देखा तो बुरा भी हट जाएगा,
मौसम बड़ा सुहाना होता है भीगी बरसात के बाद!!
Sunday, 3 May 2020
काली रात के बाद
Friday, 1 May 2020
नहीं आता है..
मुझको यूँ बेबस सा रहना नहीं आता है
झूठ को सच कहना नहीं आता है,
तुम मजबूत करो ये अपनी नफरत की दीवारें,
मुझे तो कैद में रहना नहीं आता है....!!
Wednesday, 11 March 2020
तुम जरा देर से ही आना....
याद आया है मुझे तुम्हारा वो मुस्कुराना
मुस्कुराकर हल्के से नज़रों को झुकाना
अपने चेहरे पर आते बालों को
एक अदा दिखाकर पीछे हटाना....
क्या खूब खोया हूँ तुम्हारी यादों के झरोखों में
तुम्हारी हाँ - ना के बीच के अपने ही धोखो में..
अब तो तुम मुझे ना ही असलियत दिखाना
बस यूँ ही मेरी यादों में मेरे लिए मुस्कुराना,
सुनो.. ऐसा करो.. तुम जरा देर से ही आना... I I
Tuesday, 26 November 2019
कैसे कह दूँ कि प्यार नही..
कैसे कह दूँ कि प्यार नहीं करता हूँ ,
बस कभी कभी दिखाने में डरता हूँ..!!
डरता हूँ क्योंकि परेशान करता है मुझे तेरा यूँ छोटी छोटी बातों पर चिल्लाना..
कभी कभी यूँ ही बेवजह रूठ जाना..
पहले तुम कहती थी कि मुझे यूँ ही नहीं सताओगी,
अगर हो भी गई तकरार तो पल भर में मनाओगी..
नही रहा अब दौर वैसा,
कोई पल नही उस पल जैसा..
हाँ मैं करता हूँ तुम्हें बेशुमार प्यार करता हूँ..
शायद इसी लिये दूर जाने से डरता हूँ,
पास आने को मरता हूँ....
फिर कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार नही करता हूँ..!!
Sunday, 10 February 2019
मै रात से नहीं डरता हूँ..!!
ना इन सन्नाटो से ना इस अंधकार से डरता हूँ,
ना इस झूठे समाज के बहिष्कार से डरता हूँ,
ना डरता हूँ मैं कल के उस अज्ञात निर्णय से..
मै तो बस अपने अंदर की आवाज से डरता हूँ..!!
(आदी)
(Adee)
Wednesday, 3 October 2018
सारांश
नहीं है जो हकीकत, उसकी तलाश हूँ मै
बेकार सा जो था वीराने मे, तराश रहा हूँ मै,
मत आंको मुझे सिर्फ जो देखा उतने से मुझे
एक उफनते सागर का सारांश हूँ मैं!!
Saturday, 29 September 2018
सन्नाटो की आवाज में
निकलता हूँ इन गलियों में
दूर तक कोई हमसफर नहीं दिखता
मै होता हूँ और घना सन्नाटा होता है,
मुझे खुद मेरा अस्तित्व नहीं दिखता!!
खोज रहा हूँ कुछ ऐसा मैं
जो शायद कहीं छुप गया है गुमनाम होकर
वो भी आस लगाए बैठा है
मिलूंगा तो सिर्फ चैन, सुकून और आराम खोकर!!
Thursday, 26 July 2018
रूम, फ्लैट और घर
सन 2011 था जब मैं दिल्ली पढ़ने आया,
उस समय एक कमरा लिया , 5000 के करीब था उसका किराया ।
साल दो साल नही पूरे 6 साल वहां गुजारे
पर जब भी किसी को बुलाया मेरे "रूम" पर आना सिर्फ ये कह पाया"।।
सोचा अभी तो कॉलेज का लड़कपन है ,
और मेरे दोस्त यार भी क्या कुछ कम हैं ?
हाँ फिर मैं और बड़ा हो गया....
डिग्री डिप्लोमा तो क्या मेरा मास्टर्स भी खत्म हो गया ।
फिर सोचा क्यों न अब रूम को छोड़ा जाए ,
अपने जिंदगी के रुख़ को "घर" शब्द की ओर मोड़ा जाए।
यही सोचकर मैने जगह को बदल लिया ,
एक कि बजाय अब दो कमरों का किराया दिया ।
पर अब भी मैं उस शब्द को न पा पाया,
अब भी मैने सबको "फ्लैट" पर ही बुलाया घर ना बुला पाया ।
घर तो होता है उसमें रहने वालों से, एक पूरे परिवार से,
ये नही बनता पैसों से, बातों से या सिर्फ सपनो के साकार से...।।
Friday, 6 April 2018
तूफ़ान
ये तो तूफान तेज़ आया है,
बस्तियों को यूं उखाड़ गया।
एक तूफाँ मेरे भीतर भी था,
जो मुझको अंदर से उजाड़ गया।।
Monday, 29 January 2018
Nasha
Nasha ye jo chadh raha hai
Yun na ye bekaar jayega
Hosh me jo na ho paaya ab talak
Aaj ye sab bayan karayega
Gile-sikwe jo bhi huye thhe
Sab aaj dil bhool jayega
Hanshi jo chhayi hai ye mehfil me
Nasha utarte he sab guzar jayega.
(Adee)