वो जो थे तकिये पर निशान
सूखे हुये आँसुओं के
कह रहे थे वो कहानी
जिसमे मैंने अपने दिल पर सैलाब लिख दिया..
धो दिया निशान मैंने पर,
जो न मिटा फिर कभी
वो एहसास लिख दिया.....!!
Saturday, 1 August 2020
सूखे आँसू
Saturday, 25 July 2020
कयामत
ये कैसा सन्नाटा है, ये कैसी तन्हाई है ..??
कोई तो आशिक रोया है यहाँ,
ये कयामत तो दिल टूटने से आयी है.......
Sunday, 3 May 2020
काली रात के बाद
लो हो रहा है सवेरा ये काली रात के बाद,
लब ये मुस्कुरा रहे हैं हर एक बात के बाद!
अच्छा जो देखा तो बुरा भी हट जाएगा,
मौसम बड़ा सुहाना होता है भीगी बरसात के बाद!!
Friday, 1 May 2020
नहीं आता है..
मुझको यूँ बेबस सा रहना नहीं आता है
झूठ को सच कहना नहीं आता है,
तुम मजबूत करो ये अपनी नफरत की दीवारें,
मुझे तो कैद में रहना नहीं आता है....!!
Wednesday, 11 March 2020
तुम जरा देर से ही आना....
याद आया है मुझे तुम्हारा वो मुस्कुराना
मुस्कुराकर हल्के से नज़रों को झुकाना
अपने चेहरे पर आते बालों को
एक अदा दिखाकर पीछे हटाना....
क्या खूब खोया हूँ तुम्हारी यादों के झरोखों में
तुम्हारी हाँ - ना के बीच के अपने ही धोखो में..
अब तो तुम मुझे ना ही असलियत दिखाना
बस यूँ ही मेरी यादों में मेरे लिए मुस्कुराना,
सुनो.. ऐसा करो.. तुम जरा देर से ही आना... I I
Tuesday, 26 November 2019
कैसे कह दूँ कि प्यार नही..
कैसे कह दूँ कि प्यार नहीं करता हूँ ,
बस कभी कभी दिखाने में डरता हूँ..!!
डरता हूँ क्योंकि परेशान करता है मुझे तेरा यूँ छोटी छोटी बातों पर चिल्लाना..
कभी कभी यूँ ही बेवजह रूठ जाना..
पहले तुम कहती थी कि मुझे यूँ ही नहीं सताओगी,
अगर हो भी गई तकरार तो पल भर में मनाओगी..
नही रहा अब दौर वैसा,
कोई पल नही उस पल जैसा..
हाँ मैं करता हूँ तुम्हें बेशुमार प्यार करता हूँ..
शायद इसी लिये दूर जाने से डरता हूँ,
पास आने को मरता हूँ....
फिर कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार नही करता हूँ..!!
Thursday, 15 August 2019
हवायें
बड़ी ज़ोर से आती है,
मेरे चेहरे से टकराती है,
मेरे बालों को बिखराती है
ये हवा भी ना......
मन को कितना बहकाती है
कभी कुछह खुशबू साथ में लाती है
कभी कुछ यादों को बुलाती है
आनन फानन तेज़ कभी, कभी चूम के जाती है
ये हवा भी ना.....
मन को कितना बहकाती है!!
Friday, 26 July 2019
चीख
बहुत दूर तक उसे जाना था, लाखो मुर्दो को जगाना था..
पर गुम सी यूँ ही हो गयी, वो अंदर ही अंदर सो गई,
.
.
चीख उसकी भी गुमनामी के अंधेरे में खो गयी!!
(Adee)
Wednesday, 26 June 2019
यादों की पनाह
कुछ इस कदर इस सफर में मै हँसते हुए सब कुछ गवाउंगा,
गुम होती तेरी यादों की पनाह में फना हो जाऊँगा..!!
(आदी)
Sunday, 16 June 2019
हमारे घरोंदे
कैसा अजीब ये वक़्त कैसा बेबाक है
रात भी पूरी खत्म नहीं और सुबह भी होने को बेकरार है,
सुर्ख नहीं हैं पत्ते इन चंद दिखते पेड़ों पर
जबकि मौसम में तो बड़ी ज्वाला की मार है..
प्रकृति ने बेइंतहा कोशिश कर ली है खुद के वजूद को बचाने में,
हमने भी लेकिन पूरा घमासान किया है हर सुंदर संपदा हटाने में,
पूरी तरह बर्बाद कर दिया हमने अपने ही घरोंदों को, ना प्रश्न करना अब प्राकृतिक आपदाओं के हमें मिटाने में..!!
सब हमारा अपना ही बोया है और अब हम ही इन कांटो को झेलेगे,
हमारे आने वाली पीढ़ी के बच्चे अब कहाँ हरियाली और प्रकृति की गोद मे खेलेंगे??
Monday, 3 June 2019
बदनसीब
दबाकर आग सीने में एक मुद्दत से फिरता हूँ,
ये जो आजाद कर दूँ तो जलकर खाक हो जाऊं..
बड़ा बदनसीब सा लगता है मेरी दोनों ही मर्ज़ी में,
कि अब राख हो जाऊँ या फिर बर्बाद हो जाऊँ..??
Tuesday, 21 May 2019
अब मैं सिर्फ जागूँगा..
कुछ यूँ पंख लगाकर उड़ चले हैं सपने मेरे,
दूर कहीं है मंज़िल और मुश्किल है रास्ता..
अकेला हूँ पर हौसला है, मन में विश्वास है,
खुद को दे दिया है मैंने अब अपना ही वास्ता..!!
ना ही टूटूँगा ना ही हिम्मत हारूँगा,
ना पीछे पलटुंगा ना ही अब मैं भागूँगा..
अब तो नींद टूट चुकी है
अब मंजिल मिलने तक सिर्फ जागूँगा..
अब मंजिल मिलने तक सिर्फ जागूँगा..!!
Sunday, 24 February 2019
मंजिल दूर
बिना संघर्ष के कोई जीत नहीं,
और जहां तुम रुक गए हो अंत समझ कर..
वो तो बस एक अंधे मोड़ का अंतिम कोना है,
रास्ता अभी और है, मंजिल अभी दूर है..
हर शख्स यहाँ लड़ रहा, हर एक यहां मजबूर है..
Sunday, 10 February 2019
मै रात से नहीं डरता हूँ..!!
ना इन सन्नाटो से ना इस अंधकार से डरता हूँ,
ना इस झूठे समाज के बहिष्कार से डरता हूँ,
ना डरता हूँ मैं कल के उस अज्ञात निर्णय से..
मै तो बस अपने अंदर की आवाज से डरता हूँ..!!
(आदी)
(Adee)
Wednesday, 3 October 2018
सारांश
नहीं है जो हकीकत, उसकी तलाश हूँ मै
बेकार सा जो था वीराने मे, तराश रहा हूँ मै,
मत आंको मुझे सिर्फ जो देखा उतने से मुझे
एक उफनते सागर का सारांश हूँ मैं!!