कुछ इस कदर इस सफर में मै हँसते हुए सब कुछ गवाउंगा,
गुम होती तेरी यादों की पनाह में फना हो जाऊँगा..!!
(आदी)
खा़मोश निगाहों से कर दिया इज़हार शिकायत का, लफ्ज़ो को तकलीफ न हुई और दर्द सब बयां हो गया।।