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Wednesday, 26 June 2019

यादों की पनाह

कुछ इस कदर इस सफर में मै हँसते हुए सब कुछ गवाउंगा,

गुम होती तेरी यादों की पनाह में फना हो जाऊँगा..!!

(आदी)

Monday, 3 June 2019

बदनसीब

दबाकर आग सीने में एक मुद्दत से फिरता हूँ,
ये जो आजाद कर दूँ तो जलकर खाक हो जाऊं..
बड़ा बदनसीब सा लगता है मेरी दोनों ही मर्ज़ी में,
कि अब राख हो जाऊँ या फिर बर्बाद हो जाऊँ..??