कुछ इस कदर इस सफर में मै हँसते हुए सब कुछ गवाउंगा,
गुम होती तेरी यादों की पनाह में फना हो जाऊँगा..!!
(आदी)
कुछ इस कदर इस सफर में मै हँसते हुए सब कुछ गवाउंगा,
गुम होती तेरी यादों की पनाह में फना हो जाऊँगा..!!
(आदी)
दबाकर आग सीने में एक मुद्दत से फिरता हूँ,
ये जो आजाद कर दूँ तो जलकर खाक हो जाऊं..
बड़ा बदनसीब सा लगता है मेरी दोनों ही मर्ज़ी में,
कि अब राख हो जाऊँ या फिर बर्बाद हो जाऊँ..??