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Saturday, 1 August 2020

सूखे आँसू

वो जो थे तकिये पर निशान
सूखे हुये आँसुओं के
कह रहे थे वो कहानी
जिसमे मैंने अपने दिल पर सैलाब लिख दिया..
धो दिया निशान मैंने पर,
जो न मिटा फिर कभी
वो एहसास लिख दिया.....!!

Tuesday, 10 May 2016

जिन्दगी पर सवाल

जिन्दगी एक सवाल बनकर सामने आई,
पर सवाल इतना खूबसूरत था की जवाब की चिन्ता ही न रही |
लहरों मे उतर गया न की परवाह गहराई की,
बहना इतना अच्छा लगा की पार जाने की चिन्ता ही न रही|
राहें थीं तो अन्जान एकदम,
पर चलना इतना अच्छा लगा की मन्जिल की चिन्ता ही न रही|
अब बस इतनी सी है तमन्ना,
बढ़ता रहूँ अागे इन रास्तों पर, चाहें हों ये गलत या हों ये सही|

(आदित्य कुमार अवस्थी)

Thursday, 21 April 2016

ख्वाब

कई बार वो मुझतक पहुँची ख्वाबो की तरह,
महसूस किया आँधी में जलते चिरागो की तरह |
तड़पती है रूह जैसे मिलने को शरीर से,
सोचा उसे मैनें उन इरादों की तरह |

नही चाहता था जागना जब सपनो मे तुम थी,
मदहोश खुशबू की तरह करीब तुम थी |
पर अचानक नीद खुली और तब जाना,
सच नही वह सिर्फ प्रतिविम्ब थी |

आज फिर जागा तो मैं रोज की तरह,
पर नही टूटा था ख्वाब हर रोज की तरह |
सामने उसे हकीकत मे पाया,
जाना प्यासे की तड़प को पानी की खोज की तरह |

आज भी शब्दों को अन्दर ही राख कर दिया,
सारी दिल की आग को भाप कर दिया |
नही सुना पाया तुम्हे दास्तान ए दिल,
और अहसासों को भी अपने सुपुर्द ए खाक कर दिया |

#आदी#
(आदित्य कुमार अवस्थी)