ये तो तूफान तेज़ आया है, बस्तियों को यूं उखाड़ गया। एक तूफाँ मेरे भीतर भी था, जो मुझको अंदर से उजाड़ गया।।
मेरे अन्दर भी उमड़े इस महावीर नेकर दिया है सब कुछ, एकदम नीरव शीतल...इस पसरे सन्नाटे और घनघोर अंधेरे में चाहता तो हूँ कि छू लूँ उसे पर वो डर में सहम जाती है बारम्बार...
Waahhh Alok
मेरे अन्दर भी उमड़े इस महावीर ने
ReplyDeleteकर दिया है सब कुछ, एकदम नीरव शीतल...
इस पसरे सन्नाटे और घनघोर अंधेरे में चाहता तो हूँ कि छू लूँ उसे पर वो डर में सहम जाती है बारम्बार...
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