Thursday, 27 April 2017

बदल जाता है....

दिन बदल जाता है, तारीख़ बदल जाती है,
आँखों के आगे की तस्वीर बदल जाती है..
नकाब़ गिरते हैं लगते हैं रोज़ाना,
लोगों की नीयत और तरकीब़ बदल जाती है.....

यूँ तो रोशन सूरज भी बदल जाता है,
रात को चाँद का आकार बदल जाता है..
तारे तो यूँ ही जगमगाते है हरदम़,
पर लगता है सारा आसमान बदल जाता है़....

कुदरत के करिश्मे से जहान बदल जाता है,
ऊपर वाले के आगे तूफान बदल जाता है..
ज़िन्दगी हर किसी को वो ही देता है,
फिर भी यहाँ मरते ही शमशान बदल जाता है....||

( आदित्य कुमार अवस्थी - आदी )

3 comments: