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Monday, 11 December 2017

नासमझ ही अच्छा था....

काश मुझमें ये समझ ही न होती,
मैं तो बस नासमझ ही अच्छा था..
ये दुनिया के कायदे, रीति-रिवाज
झूठे चेहरे, वादों से दूर ही अच्छा था..।।

(आदी)