बेहतरीन बेपरवाह जिंदगी थी फिर परवाह न होने की परवाह हो गयी.. उन्मुक्त उड़ान तो अच्छी थी फिर किसी क़ैद की चिन्ता हो गयी..।।
No comments:
Post a Comment