नहीं है जो हकीकत, उसकी तलाश हूँ मै
बेकार सा जो था वीराने मे, तराश रहा हूँ मै,
मत आंको मुझे सिर्फ जो देखा उतने से मुझे
एक उफनते सागर का सारांश हूँ मैं!!
Wednesday, 3 October 2018
सारांश
Saturday, 29 September 2018
सन्नाटो की आवाज में
निकलता हूँ इन गलियों में
दूर तक कोई हमसफर नहीं दिखता
मै होता हूँ और घना सन्नाटा होता है,
मुझे खुद मेरा अस्तित्व नहीं दिखता!!
खोज रहा हूँ कुछ ऐसा मैं
जो शायद कहीं छुप गया है गुमनाम होकर
वो भी आस लगाए बैठा है
मिलूंगा तो सिर्फ चैन, सुकून और आराम खोकर!!
Tuesday, 4 September 2018
We are owned by you
My morning start with the key,
Power button of my cell phone..
It's the first thing I do before even strech my knee,
no matter how much pain in my bone.
Now it's the good morning messages,
Some really mean it some don't either download.
Some already look and understand like the daily guesses,
But for some it's the successful conversation road.
Finally we left our bed and start something real,
But that real is still revolving around the virtual.
It's our phone which is making the plans, even of the spiritual's,
Why can't we make something without this and truely sensual..??
There is a huge world out side these words.. Explore and live.. Dont only scroll.
#searching_real_sensual
Thursday, 26 July 2018
रूम, फ्लैट और घर
सन 2011 था जब मैं दिल्ली पढ़ने आया,
उस समय एक कमरा लिया , 5000 के करीब था उसका किराया ।
साल दो साल नही पूरे 6 साल वहां गुजारे
पर जब भी किसी को बुलाया मेरे "रूम" पर आना सिर्फ ये कह पाया"।।
सोचा अभी तो कॉलेज का लड़कपन है ,
और मेरे दोस्त यार भी क्या कुछ कम हैं ?
हाँ फिर मैं और बड़ा हो गया....
डिग्री डिप्लोमा तो क्या मेरा मास्टर्स भी खत्म हो गया ।
फिर सोचा क्यों न अब रूम को छोड़ा जाए ,
अपने जिंदगी के रुख़ को "घर" शब्द की ओर मोड़ा जाए।
यही सोचकर मैने जगह को बदल लिया ,
एक कि बजाय अब दो कमरों का किराया दिया ।
पर अब भी मैं उस शब्द को न पा पाया,
अब भी मैने सबको "फ्लैट" पर ही बुलाया घर ना बुला पाया ।
घर तो होता है उसमें रहने वालों से, एक पूरे परिवार से,
ये नही बनता पैसों से, बातों से या सिर्फ सपनो के साकार से...।।
Friday, 29 June 2018
बड़ा कमरा
इतने साल बाहर रहा और मैने क्या पाया
हाँ था घर छोटा सा पर सुकून भरा, मैं छोड़ आया
दर दर भटका और कुछ पैसे भी कमाए
सब कुछ नया लिया बस वो रिश्ते न जोड़ पाया ..
सब कुछ नया लिया बस वो रिश्ते न जोड़ पाया ..।।
Tuesday, 26 June 2018
चाय
रात खत्म होने को हो
और सुबह की पहली किरण का उजाला हो
थोड़ा सा सन्नाटा , ठंडी हवा हो
और एक चाय का प्याला हो.....
Saturday, 9 June 2018
रात और ख्याल
ख्याल वो जो सारी रात मेरी नींदों से टकरा रहा था,
कभी मैं सपनों के करीब था कभी सिर्फ सपने सजा रहा था ।
करवटे बदलना कभी तकिये को सीने से लगाना,
अब बस ऐसा करना मेरी रातों का काम हुआ जा रहा था ।।
बस अब छोटी सी हो गयी थी वो लंबी रातें,
और.....
किसी कहानी के बेचैन मोड़ सा मैं जिये जा रहा था,
किसी कहानी के बेचैन मोड़ से मैं जिये जा रहा था।।