इतने साल बाहर रहा और मैने क्या पाया
हाँ था घर छोटा सा पर सुकून भरा, मैं छोड़ आया
दर दर भटका और कुछ पैसे भी कमाए
सब कुछ नया लिया बस वो रिश्ते न जोड़ पाया ..
सब कुछ नया लिया बस वो रिश्ते न जोड़ पाया ..।।
Friday, 29 June 2018
बड़ा कमरा
Tuesday, 26 June 2018
चाय
रात खत्म होने को हो
और सुबह की पहली किरण का उजाला हो
थोड़ा सा सन्नाटा , ठंडी हवा हो
और एक चाय का प्याला हो.....
Saturday, 9 June 2018
रात और ख्याल
ख्याल वो जो सारी रात मेरी नींदों से टकरा रहा था,
कभी मैं सपनों के करीब था कभी सिर्फ सपने सजा रहा था ।
करवटे बदलना कभी तकिये को सीने से लगाना,
अब बस ऐसा करना मेरी रातों का काम हुआ जा रहा था ।।
बस अब छोटी सी हो गयी थी वो लंबी रातें,
और.....
किसी कहानी के बेचैन मोड़ सा मैं जिये जा रहा था,
किसी कहानी के बेचैन मोड़ से मैं जिये जा रहा था।।
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