Wednesday, 7 February 2018

बेचैनी

कितना अच्छा होता है बेकरार होने पर भी कहीं खो जाना,

कितना अच्छा होता है बेचैन रात मे भी सो जाना,

यूं तो बेसब्र बेदर्दी भरी है ये जिंदगी..

कितना अच्छा होता है दिल भरने पर बेधड़क रो जाना।।

(आदी)

2 comments:

  1. बेकरारी न रही पर बेकरार रहा मुझे,
    इंकार मे भी उनके इंतजार रहा
    बेंच दी सौदागरो को सारी यादें उसकी
    दिल मे मगर फिर भी का अंबार रहा l I
    बेहद उम्दा... मित्र l

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