Tuesday, 20 February 2018

मैं बस लिखता हूँ ..

अपने शब्दों के आकार के लिए लिखता हूँ,
कुछ अनकहे सपनो के साकार के लिए लिखता हूँ।
रह ना जाये कोई कमी मेरे अल्फ़ाज़ में,
है जो दिल के अंदर उन जज़्बात के लिए लिखता हूँ।।

कभी खुद के सम्मान के लिए लिखता हूँ,
कभी उनकी यादों के गुलिस्तान के लिए लिखता हूँ।
भर जाता है समंदर भावों का जब अंदर,
तब मैं उस प्यासी जमीं के अरमान के लिए लिखता हूँ।।

मैं तो हूँ एक बहता हुआ दरिया
कभी इस पार से लिखता हूँ कभी उस पार की लिखता हूँ......।।

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