जाने कैसी अन्जानी ये बात है,
फैली दूर तक काली घनी रात है....
बचना था जिनको वो घरों में चले गये,
मेरे लिये तो ये तेज बरसात है||
दौड़ कर पकड़ ली सीढियाँ,
छत तक जिनको था जाना.....
मुझे तो हौसलों की उड़ान भरनी है,
क्यों कि यह आसमान है मुझको पाना....||
(आदी)
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