वह ही अन्त् है.... अन्त का भी अन्त्.. जिससे परे अन्धकार और निर्वात् है|| कैसा है यह निर्वात् और कैसा है वह अन्त.... किसका निर्वात और किसका अन्त् ..........|| परन्तु अन्त् तो सिर्फ अन्त् होता है, वह किसका और कैसे , कहाँ होता है...........
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